चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट >> पिग्गी का कीचड़ स्नान पिग्गी का कीचड़ स्नानहेमा राव
|
0 |
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
‘‘किट्टी ने मुझे ‘गंदा’ बोला ! पिग्गी ने मां सुअर से शिकायत की।’’
‘‘तो क्या हुआ, सुअर तो कीचड़ में लोट-पोट करते ही हैं !’’ मां सुअर ने कहा।
‘‘क्यों ?’’ पिग्गी ने मां से पूछा।
‘‘पता नहीं, पर तुम्हारे दादा-दादी कहते हैं कीचड़ हमारे लिए अच्छा होता है,’’ मां सुअर ने कहा।
‘‘पर मुझे गंदा होना पसंद नहीं है !’’ पिग्गी ने जबाब दिया।
‘‘तो क्या हुआ, सुअर तो कीचड़ में लोट-पोट करते ही हैं !’’ मां सुअर ने कहा।
‘‘क्यों ?’’ पिग्गी ने मां से पूछा।
‘‘पता नहीं, पर तुम्हारे दादा-दादी कहते हैं कीचड़ हमारे लिए अच्छा होता है,’’ मां सुअर ने कहा।
‘‘पर मुझे गंदा होना पसंद नहीं है !’’ पिग्गी ने जबाब दिया।
|
लोगों की राय
No reviews for this book